ANGULIMAL AND MAHATMA BUDDHA STORY

अंगुलिमाल और भगवान बुद्ध की कहानी (Angulimal and Mahatma Buddha Story): प्राचीनकाल में मगध साम्राज्य के जंगलों में अंगुलिमाल नाम का एक बहुत ही खूंखार डाकू हुआ करता था। जो भी उस जंगल से होकर गुजरता था, अंगुलिमाल उसे मार देता था और उसकी एक अंगुली काटकर अपने गले के माला बनाकर पहन लेता था। यही कारण था की वह अंगुलिमाल के नाम से जाना जाता था। सभी लोग उससे बहुत त्रस्त थे। वह अंगुलिमाल के भय से सांयकाल के बाद घर से बाहर नहीं निकलते थे।

उस गाँव में एक दिन भगवान बुद्ध का आगमन हुआ। भगवान बुद्ध ने को उस गाँव में रुकने के पश्चात यह ज्ञात हुआ कि इस गाँव में अंगुलिमाल का डर और आतंक फैला हुआ है। उस गाँव के लोगों ने अपनी आपबीती बुद्ध को सुनाई। सभी गाँव वालों की बात सुनकर भगवान बुद्ध ने अंगुलिमाल डाकू से मिलने का निश्चय किया।

सभी गाँव वालों ने बुद्ध से कहा की अंगुलिमाल बहुत ही खतरनाक डाकू है अतः आपको उससे नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने भगवान बुद्ध से अंगुलिमाल से मिलने के लिए जंगल में न जाने की विनती की। लेकिन भगवान बुद्ध अंगुलिमाल से मिलने के लिए जंगल की ओर निकल पड़े।

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Angulimal and Mahatma Buddha Story in Hindi

जब भगवान बुद्ध जंगल में जा रहे थे तो उन्हें अचानक पीछे से एक आवाज सुनाई दी “ठहर जा”। भगवान बुद्ध ने जब पीछे मुड़कर देखा तो वह आवाज डाकू अंगुलिमाल की थी। उनके सम्मुख एक बहुत ही डरावना और खूंखार डाकू अंगुलिमाल खड़ा था। भगवान बुद्ध ने डाकू अंगुलिमाल से कहा “मैं तो ठहर गया, पर तू कहब ठहरेगा ?”

अंगुलिमाल ने देखा कि जब वह किसी को भी रोकता था तो उसके चेहरे पर डर का भाव होता था। उसके रोकने पर सभी लोग भय से कांपते थे। किन्तु आज भगवान बुद्ध के चेहरे पर ऐसा कोई भाव नहीं था। यह सोचकर अंगुलिमाल अचंभित था कि भगवान बुद्ध के चेहरे पर डर का कोई भाव क्यों नहीं है।

अंगुलिमाल ने भगवान बुद्ध से कहा “मैं अंगुलिमाल हूँ, जो भी यहाँ से गुजरता है मैं उसे मार डालता हूँ। क्यां तुम नहीं जानते की यह क्षेत्र अंगुलिमाल का है। मैं बहुत ताकतवर हूँ, मुझसे सभी लोग डरते हैं।

Mahatma Buddha and Angulimal story

बुद्ध ने कहा यह कैसे मान सकते हैं की तुम ताकतवर हो। तुम्हें यह सिद्ध करके दिखाना होगा की तुम ताकतवर हो। भगवान बुद्ध ने अंगुलिमाल से की जाओ उस पेड़ की पत्ती को तोड़कर लाओ। अंगुलिमाल ने कहा ठीक है यह कौन सी बड़ी बात है। अंगुलिमाल पत्ती तोड़कर बुद्ध के पास लेकर आया। फिर भगवान बुद्ध ने अंगुलिमाल से कहा कि इस पत्ती को अब वापस उस पेड़ पर लगा दो। अंगुलिमाल ने गुस्से से कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि जो एक बार टूट गया वह दोबारा जुड़ जाये।

फिर भगवान बुद्ध ने अंगुलिमाल से कहा कि तुम फिर कैसे सबसे शक्तिशाली हो सकते हो। जब तुम एक पत्ती को दोबारा नहीं जोड़ सकते। इसी प्रकार जब तुम किसी को जीवन नहीं दे सकते तो तुम्हें मृत्यु देने का अधिकार भी नहीं है। बुद्ध की यह बात सुनकर अंगुलिमाल ठहर गया। अंगुलिमाल के मन में मानों करुणा का समुद्र हिलोरें मरने लगा। अंगुलिमाल के अश्रु मनो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उसे अपने किये पर आत्मग्लानि होने लगी और वह भगवान बुद्ध के चरणों में गिर गया। इस प्रकार भगवान बुद्ध ने अंगुलिमाल को सन्मार्ग का रास्ता दिखाकर उसका उद्धार किया। यहीं से अंगुलिमाल का एक नया जीवन प्रारम्भ हुआ और आगे चलकर वह बहुत बड़ा सन्यासी बना।

What education do we get from this story?

इस कहानी से हमें से क्या शिक्षा मिलती है?

जीवन में सन्मार्ग पर चलने के लिए बस एक उम्मीद की किरण की आवश्यकता होती है। कोई व्यक्ति किसी भी उम्र में या किसी भी स्थिति में हो, यदि उसे सही मार्गदर्शन मिले, सही ज्ञान मिले तो उसकी जिंदगी में भी अच्छे का एक नया सवेरा हो सकता है।

दोस्तों, उम्मीद है यह कहानी “अंगुलिमाल और भगवान बुद्ध की कहानी (Angulimal and Mahatma Buddha Story)” आपको अच्छी लगी होगी और इस कहानी से आपको एक शिक्षा अवश्य मिली होगी। यदि आपको यह शिक्षाप्रद कहानी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर अवश्य करें। जिससे अन्य व्यक्ति भी इस कहानी के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करें। इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपको ह्रदय से धन्यवाद।

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