होली पर निबंध हिंदी में HOLI ESSAY IN HINDI
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Holi essay in hindi: हिन्दू धर्म का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। होली प्रेम, भाईचारा, सद्भाव का त्यौहार है। होली वैसे तो हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है लेकिन सभी धर्मों के लोग होली के त्यौहार को बड़े ही प्यार और धूमधाम से मनाते हैं।
होली के दिन सभी लोग एक दूसरे को तरह-तरह के रंग लगाते हैं और एक दूसरे को मिठाइयां खिलते हैं। उसके बाद सभी एक दूसरे के गले लगकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। होली का त्यौहार प्यार और खुशियों का त्यौहार है। होली का त्यौहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस लेख की सहायता से आप Holi ka Nibandh लिख सकते हैं।
होली पर निबंध हिंदी में Holi par Nibandh
होली को मनाने का कारण:
हिन्दू धर्म में एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार हिरण्यकश्यपु नाम का एक बहुत बलशाली राक्षस था, उसने घोर तपस्या करके भगवान् ब्रह्मदेव को प्रसन्न किया और उनसे यह वरदान प्राप्त किया कि “मेरी मृत्यु न दिन में हो न रात में, न घर के अंदर हो न बाहर, न अस्त्र से हो न शस्त्र से, न धरती में हो न आकाश में, न किसी मनुष्य के हाथों हो न किसी पशु के, न देवताओं के द्वारा हो न दानवों के”।
हिरण्यकश्यपु वरदान के अहंकार में सारी सीमाएं लांघ गया। वह यह समझने लगा कि यह वरदान पाकर भगवान् ब्रह्मदेव ने उसे अमर कर दिया। वह सबसे बलपूर्वक अपनी पूजा करवाने लगा। जो उसकी पूजा नहीं करता था उसे बहुत कष्ट दिए जाते थे। उसे लगने लगा की वह इस सृष्टि का मालिक बन गया है।
वह भगवान् विष्णु को अपना शत्रु समझता था। उसने भगवान् विष्णु की पूजा करने वाले साधु संतों एवं सभी प्रजाजनों पर अत्याचार करने शुरू कर दिए और भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी को रोक दिया।
Holi Nibandh in Hindi
होली की कथा (Story of Holi in Hindi)
कुछ समय बाद हिरण्यकश्यपु के घर में एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया। प्रह्लाद बचपन से ही भगवान् विष्णु का परम भक्त था। वह हर समय भगवान् विष्णु का ही नाम जपता रहता था।
इस बात से हिरण्यकश्यपु अत्यंत क्रोधित हो गया कि मेरा पुत्र होकर भगवान् विष्णु का नाम कैसे जप सकता है। उसने प्रह्लाद को तरह तरह के कष्ट दिए, अनेक यातनाएं दी और उसे मारने के बहुत प्रयास किये।
जब हिरण्यकश्यपु अपने सभी प्रयासों में विफल रहा तो उसने अपनी बहन होलिका से उसे मारने को कहा। होलिका को यह वरदान प्राप्त था की अग्नि उसे नहीं जला सकती। अतः वह अपनी गोद में प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गयी।
भक्त प्रह्लाद की भक्ति ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और होलिका जलकर भस्म हो गयी। इस प्रकार भगवान् विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। तभी से होली का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गिले-शिकवे भुलाकर गले मिलते हैं और रिश्तों की एक नयी शुरुआत करते हैं।
होली के त्यौहार को मनाने का तरीका (How to celebrate Holi?)
होलिका दहन: होली से एक दिन पहले सांयकाल समय में होली गायी जाती है। फिर लोग एक जगह पर इकठ्ठा होकर वहां पर लकड़ी, घास और गोबर आदि इकठ्ठा करते हैं और होलिका दहन करते हैं। सभी लोग एक दूसरे को मिठाई बांटकर होलिका दहन की शुभकामनाएं देते हैं।
दुलहंडी: होली के दिन को दुलहंडी कहा जाता है। होली के दिन सभी लोग नए कपडे खरीदते हैं, एक दूसरे को गुलाल लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं। अपने सगे सम्बन्धियों के घर पर मिठाई के साथ होली की शुभकामनाओं का शगुन भेजते हैं। इस समय सबके घरों में खूब रौनक रहती है। बाजार भी खूब रौनकदार रहते हैं।
Holi par Nibandh Hindi mein
होली का महत्व (Importance of Holi)
होली बच्चों का बहुत ही प्रिय त्यौहार है। बच्चे होली के दिन सुबह से ही गुब्बारों के साथ खेलना शुरू कर देते हैं। अपनी-अपनी पिचकारी और रंग बाल्टी तैयार कर देते हैं। और जैसे ही कोई उनके घर के पास से गुजरता है अपनी पिचकारी से उस पर रंग डाल देते हैं।
होली के दिन बच्चे बहुत ही अधिक उत्साहित होते हैं। इस दिन सभी लोग एक दूसरे पर तरह तरह के प्रकार के रंग लगाते हैं कि सभी के चेहरे भी पहचान में भी नहीं आते हैं। घर में गुजिया आदि विभिन्न प्रकार के मिष्ठान बनाये जाते हैं।
ब्रज मंडल की होली विश्व प्रसिद्ध है। मथुरा, वृन्दावन, बरसाना, नंदगाव की होली को देखने के लिए हर व्यक्ति लालायित रहता है। बरसाना में लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है। जिसमे महिलाएं पुरुषों को लकड़ी से पीटती हैं।
लकड़ी से पीटना होली मनाने का एक प्रतीक है, इससे पुरुषों को कोई भी चोट नहीं आती है। इसे लट्ठमार होली कहा जाता है। ब्रज मंडल की होली देखने के लिए दूर दूर से भक्तजन आते हैं।
Holi par Nibandh in Hindi
होली में क्या न करें (What not to do in Holi):
- रसायन युक्त रंगों एवं का प्रयोग न करें।
- पक्के रंगों का प्रयोग न करें।
- रंग लगाते हुए किसी का अपमान न करें।
- होली में नशे का सेवन न करें।
- होली में ऐसा कोई कार्य न करें जिससे अन्य लोगों को तकलीफ हो।
निष्कर्ष (Conclusion):
होली सामाजिक सौहार्द का त्यौहार है। होली पर हमें आपस के मतभेद भुलाकर प्यार और भाईचारे के साथ रहना चाहिए। होली का पावन त्यौहार सभी लोगो को आपस में सामाजिक रूप से जोड़ता है। हमारे त्यौहार आपस में मिल जुलकर रहना सिखाते हैं।
हमें यह भी देखने को मिलता है कि कुछ लोग होली की आड़ में हुड़दंग मचाने का प्रयास करते हैं। कुछ युवक होली के त्यौहार में नशे में चूर रहते हैं। कुछ लोग केमिकल से युक्त रंगों का प्रयोग करते हैं जिससे सामने वाले इंसान की त्वचा को नुक्सान पहुँचता है। यह एक सामाजिक बुराई है।
हमें यह सब छोड़ना होगा तभी हमारे समाज में सामाजिक सौहार्द बनेगा। होली प्यार का त्यौहार है, खुशियों का त्यौहार है, भाईचारे का त्यौहार है, रिश्तों को बेहतर बनाने का त्यौहार है।
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