What is the Importance of Inspiration in the journey of success?

इस लेख में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि हमारे जीवन में प्रेरणा का क्या महत्त्व (What is the Importance of Inspiration in the journey of success) है ? और सफलता पाने के लिए हमको प्रेरणा की आवश्यकता क्यों होती है ?

हर किसी को किसी कार्य को करने के लिए जिस चीज की सबसे पहले आवश्यकता होती है वह होती है उस कार्य को करने की प्रेरणा। प्रेरणा हमारे मन का वह विश्वास है जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

हम अक्सर सुनते हैं की अनेक महान लोग हुए हैं जो अपने कार्य में सफल इसलिए हुए हैं की उन्होंने अपने काम पर विश्वास किया और उसे पूरा करने के लिए रात दिन एक कर दिया। बिना यह परवाह किये की यह कार्य सफल होगा या नहीं।

खिलाडी यह नहीं सोचता की वह सफल होगा या नहीं, वह जमकर अभ्यास करता है, हर पारी में अपने आपको साबित करने की कोशिश करता है। वह रात दिन मेहनत में इतना मशगूल हो जाता है की वह हर समय सिर्फ अपने उद्देश्य के बारे में सोचता है।  और उसकी यह मेहनत बेकार नहीं होती क्योंकि उसने कठिन परिश्रम किया है। इस दौरान हो सकता है कि उसे अनेक लोगों ने उसको नकारात्मक भी किया होगा। परन्तु उसकी लगन और मेहनत से वह एक दिन कामयाब होता है।

हम सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को मैदान पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते देखते हैं। वह एक दिन में उत्कृष्ट बल्लेबाज नहीं बन गए।  इसके लिए उन्होंने लगातार कठिन मेहनत की है।

एक धावक जब रेस जीतता है तो हमें केवल उसका मैडल दिखाई देता है परन्तु हम यह नहीं जानते कि  उस दिन के लिए उस धावक ने कितनी कठिन मेहनत की होगी।

हमें हर कदम पर प्रेरणा चाहिए।

We need Inspiration at every step.

सफलता एक दिन में मिलने वाली चीज नहीं हैं यह निरंतर चलने वाली मेहनत का फल है जो हमें अवश्य मिलता है।

सफलता पाने के लिए हमें लगातार अपने मन को प्रेरणाशील बनाना होगा। जिस कार्य को हमें करना है उस कार्य पर अपना अटूट विश्वास करना होगा। लगातार मेहनत करनी होगी। तथा अपने नजरिये को हमेशा सकारात्मक रखना होगा।  यदि हम सकारात्मक नजरिये के साथ उस कार्य में पूरी मेहनत करेंगे तो हमें उसके बेहतर परिणाम मिलेंगे।

इंसान को अपनी भावनाओं को मजबूत करना होता है तब जाकर वह सफल होता है। प्रेरणा कोई एक सेकंड होने वाली चीज नहीं है।  हमें हर क्षण प्रेरित रहना होगा  जिससे कि  हमारे मन में नकारात्मक विचार न आने पाए।

अपना लक्ष्य एकदम साफ़ होना चाहिए। लक्ष्य के प्रति हमको हमेशा प्रेरित रहना होगा।

प्रेरणा का महत्त्व (Importance of inspiration)

जब तक हम अपने अंदर मन की प्रेरणा नहीं विकसित करेंगे तब तक हमारा मन कार्य में नहीं लगेगा। हम कोई प्रेरणा की कहानी तो पढ़ लेंगे पर थोड़ी देर तक उस कहानी का असर होगा और उसके बाद हम वह भूल जायेंगे। परन्तु यदि हमारे मन में आतंरिक प्रेरणा होगी तो हमें  वह बात हमेशा याद रहेगी। तथा हम हर समय उस बात को याद करेंगे। हमको याद रखना होगा की कोई बाहरी शक्ति हमको केवल कुछ क्षण के लिए ही प्रेरित करती है असल प्रेरणा तो हमारे मन में ही है। सफलता के लिए हमें उसको ही जगाना होगा।

आतंरिक प्रेरणा हमारे दिल की आवाज  होती है। जबकि बाहरी प्रेरणा किसी परिस्थिति के वजह से उत्पन्न होती है।

बाह्य प्रेरणा (Extrinsic Motivation)

उदहारण के लिए यदि हम कोई प्रेरणादायक फ़िल्म देखते हैं। तो हमारे मन में वह फ़िल्म जोश भरने का काम करती है और हम अपने आपको प्रेरित महसूस करने लगते है।  किन्तु कुछ समय बाद हम वापस अपने कार्य-कलापों में व्यस्त हो जाते है और वह प्रेरित विचार हमारे मन से निकल जाता है।

बाहरी प्रेरणा डर के कारण  भी उत्पन्न होती है। यदि किसी को यह डर होगा की यदि उसने यह कार्य नहीं किया तो उसे काम से निकाल दिया जायेगा तो वह उस कार्य को शीघ्र पूरा कर देगा। यह भी एक प्रकार की प्रेरणा थी जिसने उस इंसान को कार्य करने के लिए प्रेरित किया।  किन्तु यह प्रेरणा का सही प्रकार नहीं है। इसके परिणाम अस्थाई होते हैं।

किसी चीज को पाने का लालच भी प्रेरणा है। यदि किसी  को यह लालच होगा की यदि यह कार्य  कर दिया तो मुझे यह चीज मिल जाएगी तो वह उस कार्य को जल्दी से जल्दी ही पूरा कर देगा। किन्तु यह प्रेरणा भी लम्बे समय तक  विद्यमान नहीं रहती है। लालच पूरा होने पर वह उस प्रेरणा को भी भूल जायेगा।

आंतरिक प्रेरणा (Intrinsic Motivation)

आतंरिक प्रेरणा इंसान की अंतरात्मा की आवाज है। जो उसे हर कार्य को करने की शक्ति देती है। जो उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यदि कोई इंसान वह कार्य करता है जिस कार्य में उसकी विशेष  रूचि है तो वह उस कार्य को पुरे दिल से करेगा। ओर हमेशा उस कार्य को उतनी ही ईमानदारी और मेनहत से करेगा जितनी मेहनत और लगन से पहले करता था।  ऐसा इसलिए है क्योंकि वह इंसान उस कार्य को दिल से प्रेम करता है।  उस कार्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता है।

एक क्रिकेटर हमेशा दिल से क्रिकेट खेलता है। वह अपने खेल के प्रति हमेशा जूनून से भरा होता है। वह अपने आने वाले  हर मैच को उतनी ही मेहनत से खेलता है जितनी मेहनत से उसने पिछले मैच खेले थे। क्योंकि वह उस खेल से बहुत प्यार करता है। उस खेल के प्रति जिम्मेदार है। यह प्रेरणा का आंतरिक रूप है।

यदि क्रिकेटर को फुटबाल खेलने को कहा जाये तो वह उसमे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायेगा। और धीरे धीरे उसका फुटबाल से मोह भंग हो जायेगा और वह फुटबाल खेलना छोड़ देगा।  क्योंकि वह अंदर से क्रिकेट से प्यार करता है।

 

एक मछली तैरने में ही सफल हो सकती है। यदि हम मछली की योग्यता पेड़ पर चढ़ने से मापेंगे तो मछली फेल हो जाएगी। और इस तरह से हम उसके अंदर के जन्मजात प्रतिभा को ही समाप्त कर देंगे। इसलिए आतंरिक प्रेरणा का होना अत्यंत ही आवश्यक है।

कोई कार्य तभी सफल होता है जब उस कार्य को करने वाले ने उस कार्य में अपनी जी जान लगा दी हो। और अपना कार्य पूरी ईमानदारी और मेहनत से किया हो। सफलता के लिए जिंदगी में प्रेरणा का होना आवश्यक है।

जो प्रेरणा हमारे अंदर से  उत्पन्न होती है वह लम्बे समय तक हमें प्रेरित करती है। बाहरी प्रेरणा हमें केवल तभी तक प्रेरित करेगी जब तक उससे सम्बंधित चीजें हमारे सामने हैं। जैसे ही वह चीजें हमारे सामने से हटेंगी, हमारी प्रेरणा भी भटक जाएगी।

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