Motivational Poem by Vajpayee Ji
अटल बिहारी वाजपेयी जी की यह प्रेरणादायक कविता (motivational poem by Vajpayee Ji) हमारे अंदर एक उत्साह का संचार करती है एवं निराशा से बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह कविता अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा रचित “मेरी इक्यावन कवितायेँ” से ली गयी है;-
कदम मिलाकर चलना होगा
(Inspirational Poem by Vajpayee Ji)

Motivational poem by Vajpayee Ji
कदम मिलाकर चलना होगा
बाधाएं आती हैं आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हँसते हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
हास्य रुदन में, तूफानों में,
अमर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानो में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा !
कदम मिलाकर चलना होगा।
उजियारे में, अंधकार में,
कल कछार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को दलना होगा ।
कदम मिलाकर चलना होगा।
सम्मुख फैला अमर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अथ,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल, समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
कुश काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वञ्चित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुवन,
पर-हित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
-अटल बिहारी वाजपेयी
भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत सरकार
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